फलदीपिका के महत्वपूर्ण सिद्धांत

फलदीपिका के महत्वपूर्ण सिद्धांत-

फलदीपिका , भारतीय ज्योतिष का एक अनुपम ग्रंथ है । इसमें कई ऐसे सिद्धांत दिये हैं जिन्हें वे व्यक्ति भी अपनी पत्री में लगाकर देख सकते हैं , जिन्हें ज्योतिष का आरंभिक ज्ञान है।ये सिद्धांत , ग्रहों की वर्गों में स्थिति के महत्व को भी दिखाते हैं। इसके अतिरिक्त कोई ग्रह कैसे अपने शुभ फलों को बढ़ाता है , ये भी वर्णित है।
1-क्रूर राशि में स्थित होने पर , क्रूर ग्रह की क्रूरता बढ़ती है वहीं सौम्य राशि में स्थित होने पर उसकी क्रूरता कम होती है।इसी तरह क्रूर राशि में शुभ ग्रह हो तो शुभ फलों में कमी करता है पर सौम्य राशि में हो तो शुभ फलों की वृद्धि करता है।

2-विषम राशियों में अधिक ग्रह होने पर जातक में पुरुषार्थ तत्व(ताक़त, हिम्मत आदि) विशेष मात्रा में होते हैं।सम राशि में अधिक ग्रह होने से सुंदरता, सुशीलता  आदि अधिक होती है।

3-गुरु बलवान होने से व्यक्ति बहुत बुद्धिमान होता है । बुध व गुरु  दोनों से बुद्धि देखी जाती है, बुध से किसी बात को शीघ्र समझ लेना तथा गुरु से विचार करने की शक्ति दृढ़ होती है।श्रेष्ठ मति होना गुरु का लक्षण है।

4-कोई ग्रह अच्छा ही फल करेगा या निकृष्ट ही फल देगा यह किसी एक बात से निश्चय नहीं होता ।24 प्रकार के बल होते हैं ।उन सबका तथा अष्टक वर्ग में शुभ बिंदु,सर्वाषट्क में शुभ बिंदु , आरोही-अवरोही,शुभ-पाप ग्रहों की दृष्टि , किस भाव में वो ग्रह है,भाव मध्य से कितनी दूर है, उसका नक्षत्र स्वामी , उसका स्वामित्व,उसकी प्लेसमेंट आदि अनेक बातों का तारतम्य कर , बुद्धिमान ज्योतिषी को ग्रह का प्रभाव निश्चित करना चाहिए।

5-वर्गों का महत्व-
लग्नेश स्वयं बहुत बलवान हो तो मनुष्य भूमि का स्वामी व भाग्यवान होता है।लग्न के नवांश का स्वामी बली हो तो सुखी होगा ।लग्न के द्रेषकान का स्वामी बली हो तो राजा के समान पदवी प्राप्त होती है।

6-चंद्रमा अपने द्रेष्कान या मित्र के द्रेषकान में हो तो जातक को उत्तम रूप व गुण प्रदान करता है । चंद्रमा को उत्तम वर्ग भी मिले तो भी जातक बहुत भाग्यशाली होगा।

7-कोई ग्रह अपने कारकतवों का कैसा प्रभाव देगा,इसके लिए उस ग्रह की स्थिति D30 वर्ग में चेक करें।D30 वर्ग में स्वराशि का होने पर अपने कारकत्वों का सर्वश्रेष्ठ फल देगा।मित्र राशि में होने पर मध्यम फल देगा।शत्रु राशि में होने पर अधम फल देगा।क्रूर अति शत्रु राशि में निकृष्ट फल देगा।

8-D30 में एक भी ग्रह अपनी राशि या उच्च राशि में हो और  मित्र ग्रह के साथ हो या उससे देखा जाता हो तो मनुष्य को उत्तम धन , भाग्य ,व पदवी देता है।

9-लग्न में कोई पाप ग्रह ना हो व चंद्रमा श्रेष्ठ अंश(स्वराशि,स्वद्रेषकान,स्वनवांश) में हो और चंद्र को बलवान ग्रह देखते हों तो जातक सुंदर शरीर वाला, सर्वभूमि पर अधिकार वाला राजा होता है।

10-यदि लग्नेश बलवान हो कर केंद्र में हो तो ये अकेला प्रबल योग है ।

11-लग्नेश जहां भी बैठे उस भाव की समृद्धि होती है।लग्नेश जिस भावेश के साथ बैठे , उस भावेश के फल को बड़ाता है।