ज्योतिष क्यों

ज्योतिष क्यों
आ नो भद्रा: क्रतवो यंतु विश्वत: 
(कल्याण कारी बुद्धियां सभी दिशाओं से हमारे पास आये, हमें ज्ञान की उत्तम धारायें प्राप्त हों)

सौर जगत के सभी ग्रह, नक्षत्र पृथ्वी पर सभी सजीव निर्जीव पदार्थों को प्रभावित करते हैं जिसका प्रत्यक्ष उदाहरण है – समुद्र मे उठने वाला ज्वार/ भाटा, विभिन्न ऋतुएं किस प्रकार चराचर जगत को प्रभावित करती हैं हम सभी जानते हैं
भारतीय संस्कृति में सोलह संस्कारों का वर्णन है जिसमें सर्व प्रथम गर्भाधान संस्कार का वर्णन है और ज्योतिष में जन्म कुन्डली के साथ साथ आधान कुन्डली से भविष्य वाणी करने का सभी पूर्ववर्ती महर्षियों के ग्रंथों मे वर्णन प्राप्त होता है सर्वप्रथम वराह मिहिर ने लगभग 1500 वर्ष पूर्व इस तथ्य को वरीयता दी थी ताकि होने वाली संतान की गुणवत्ता परिवार की पृष्ठ भूमि के अनुसार तय हो सके - जैसे राजा के पुत्र मे राजा जैसे गुण, आचार्य के पुत्र मे आचार्य जैसे आदि आदि
वराह मिहिर के इसी तथ्य को रूस के प्रसिद्ध जीव एवं भौतिक विज्ञानी ज़ोर्ज़ लखव्स्कि (1941 में) प्रथम वैज्ञानिक थे जिन्होने यह विश्वास प्रकट किया कि तारों व ग्रहों से आने वाली किरणें गर्भाधान एवं जन्म के जातक के भावी भाग्य को प्रभावित करती है / निर्धारित करती हैं. साथ ही उन्होने यह भी कहा कि तारों/ ग्रहों से आनी वाली किरणें पृथ्वी पर सभी सजीव प्राणियों की बनावट, व्यवहार आदि गर्भाधान के समय उस अंडे / पिंड को सीधे प्रभावित करती हैं? क्योंकि सभी सजीव/ निर्जीव प्राणी/ पदार्थ विध्युत कणों से बने हैं और भौतिक अवस्था में किरणे विक्षेपित करते हैं जिसे सामान्यजन किसी व्यक्ति का ऑरा कहते हैं.
मैं स्वयं वैदिक दृष्टि से विचार करुं तो मुझे लगता है कि आधुनिक जीव और भौतिक विज्ञानी हमारे वैदिक सिद्धांत “यथा पिण्डे तथा ब्रह्माण्डे” को जगत के सामने वैज्ञानिक रूप से प्रस्तुत कर ज्योतिष की महत्ता को स्वीकार्य कर रहे हैं साथ ही लाखोव्स्कि प्रमाणित कर रहे है कि गर्भाधान के समय ही जातक ग्रहों की किरणों के प्रभाव से एक विशेष सांचे मे ढल जाता है और उसका भाग्य गर्भाधान के समय ही निश्चित हो जाता है और वैदिक दर्शन के अनुसार तीन प्रकार के कर्म – संचित, प्रारब्ध और क्रियमाण जातक को एक निश्चित दिशा की और अग्रसर कर देते है और वैदिक दर्शन के अनुसार इन कर्म फलों मे परिवर्तन किया जा सकता है जिस के दिशा निर्देश एक उच्च शिक्षा प्राप्त ज्योतिषी दे सकता है.
जे0पी0 मोर्गन (1837-1913) ने ज्योतिष को प्रगति का आधार माना है, उनका प्रसिद्ध उद्धरण है “Millionaires don’t use astrology, billionaires do”  अर्थात लखपति व्यक्ति ज्योतिष का प्रयोग नही करते जबकि अरबपति व्यक्ति करते हैं
अंत मे कहुंगा कि स्वयं के जीवन मे प्रगति के लिये, नुक्सान के बचने के लिये, परिवार की उन्नति के लिये ज्योतिष पर विश्वास किजिये परंतु अंध विश्वास नहीं. 
यह देव वाणी है जो गलत नही होता।