कुंडली का जीवन पर प्रभाव
कुंडली का जीवन पर प्रभाव
कुंडली का व्यक्तिगत जीवन पर प्रभाव विश्लेषण करने के लिए, ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों की स्थिति, दशाओं, और योगों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। कुंडली में जन्मकुंडली, लग्नकुंडली, और नवांशकुंडली जैसे अंश होते हैं, जो व्यक्ति के जीवन के विभिन्न पहलुओं पर प्रभाव डाल सकते हैं।
कुंडली में ग्रहों की स्थिति और दशाएं व्यक्ति के जीवन के महत्वपूर्ण घटक होती हैं, जैसे कि करियर, पारिवारिक जीवन, स्वास्थ्य, और धार्मिक आदि। इसके आधार पर, ज्योतिषशास्त्रियों का मानना है कि वे व्यक्ति के जीवन के विभिन्न पहलुओं को पूर्वानुमानित कर सकते हैं और सलाह दे सकते हैं।
कुंडली हमे जीवन के कई उतार चढ़ाव का अनुमान करा देती है। कुछलोगों मे कुंडली को लेकर एक भय रहता है की यदि कुछ बुरा घटित होने की सम्भावना है तो क्या होगा?लेकिन उनका ये भ्रम मिथ्या है क्योंकि तथ्यों के पूर्वानुमान से हम सतर्क हो सकते है और दशानाथ की पूजा अर्चना कर अपने आने वाले समय के दुष्प्रभावको कम कर सकते है। और अगर अच्छीदशा आ रही है तो उसका अधिक से अधिक फ़ायदा ले सकते है।
अपने कमजोर ग्रहों को बलि बना कर उनका शुभ प्रभाव बढ़ा सकते है। अपनेआत्मविश्वास को भी पूजा अर्चना कर उठा सकते है। मानसिक बल प्राप्त करने के लिए प्रयत्न कर सकते है। और ये सब हम कुंडली के माध्यम से ही संभव कर सकते है।
कहा भी है मन के जीते जीत है मन के हारे हार।
कुंडली के माध्यम से ही हम अपने चंद्रमा को बलि कर मन को प्रसन्न रख सकते है।
वैदिक ज्योतिष के द्वारा आपकी कुंडली को समझ कर जीवन मार्ग को सरल और सहज बनाने का प्रयत्न किया जाता है। ये हमारेजीवन का वो लेखा जोखा है जो जन्म के साथ ही जुड़ कर आता है तो मेरा ऐसा माननाहै कि जो ईश्वरीय संकेत हमे मिलते है उनका बिना किसी संशय और भय के हम अपने जीवन को सुखी और समृद्ध बनाने के लिए आगे बढ़ सकते है।
धन्यवाद